Hindi Kahaniya - खलील जिब्रान - अध्यापन
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हमसे अध्यापन के विषय में कुछ कहो।
और उसने कहा -
तुम्हारे ज्ञान के उषाकाल में , जो कुछ पहले से ही अर्धनिद्रित अवस्था में विद्यमान है,उसके अतिरिक्त कोई भी तुम्हारे आगे कुछ प्रकट नहीं कर सकता।
जो अध्यापक अपने अनुगामियों में मंदिर की छाया तले विचरण करता है , वह अपने ज्ञान का अंश नहीं बल्कि अपना विशवास और वातसल्य पर्दान करता है।
यदि वह वास्तव में बुद्धिमान है तो वह तुम्हें अपने ज्ञान मंदिर में प्रवेश करने के लिए नहीं कहता ,बल्कि वह तुम्हे तुम्हारो बुद्धि की दहलीज तक ले जाएगा।
खगोल शास्त्री अपने आकाश सम्बन्धी ज्ञान के विषय में तुमसे चर्चा कर सकता है , किन्तु वह अपना ज्ञान तुम्हें प्रदान नहीं कर सकता।
गायक गए कर तुम्हें सर्वत्र-व्यापी लय में से कुछ सूना सकता है,लेकिन वे कान नहीं दे सकता जो उस ले को पकड़ लेते हैं , न उसको प्रतिध्वनित करने वाली आवाज ही।
और निपुड़ गणितज्ञ तुमसे तौल और माप के लोक की बाते कह सकता है, लेकिन वह तुम्हें वहां ले नहीं जा सकता।
क्योंकि एक मनुष्य की दर्शन-शक्ति दूसरे मनुष्य को अपने पंख नहीं दे सकती।
और जैसे ईश्वर की दृष्टि में तुम सब अलग-अलग खड़े हो, वैसे ही तुममें से प्रत्येक को भी अपने ईश्वरीय ज्ञान और लौकिक अनुभूति में अकेला रहना चाहिए।
- खलील जिब्रान
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