UA-158808998-1 Sherlock Holmes ki kahaniya in hindi - Part 1 - Hindi Kahaniya

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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

Sherlock Holmes ki kahaniya in hindi - Part 1

Sherlock Holmes ki kahaniya in hindi - Part 1

Sherlock Holmes ki kahaniya in hindi



(((लेखक परिचय:  सर आर्थर कॉनन डायल, (1859-1930) स्कॉटिश लेखक, आयरिश माता. पिता, इडिबर्ग में जन्मे थे. उन्होंने डाक्टरी की पढ़ाई भी की. लेकिन उन की लेखन प्रतिभा के कारण उन के प्रशंसकों ने उन्हें जासूसी कहानियों की श्रृंखला लिखने के लिए उत्साहित किया. इस के फलस्वरूप उन की जासूसी कहानियों की पहली श्रृंखला ब्रिटेन की स्ट्रेंड पत्रिका में 1891-93 में प्रकाशित हुई. यह श्रृंखला इतनी प्रसिद्ध हुई कि डायल को अपने जासूस शरलॉक होम्स जिस का उन्होंने अंत कर दिया था, उसे दोबारा प्रस्तुत करना पड़ा. इस के अतिरिक्त उन की अन्य पुस्तकें ‘रोडनी स्टोन’, ‘लेस्टिवर्ड’ व ‘पाइजन बैल्ट’ काफी प्रसिद्ध हैं. शरलॉक होम्स की कहानियों की यही विशेषता है कि वे आज भी जासूसी सीखने व सिखाने की कला के लिए मूलभूत स्रोत हैं. शरलॉक होम्स की कहानियों को विभिन्न श्रृंखलाओं में प्रस्तुत किया जा रहा है. 
शरलॉक होम्स का परिचयसर आर्थर कॉनन डायल ने अपने इस प्रसिद्ध खोजी जासूस शरलॉक होम्स के व्यक्तिगत जीवन पर कुछ नहीं लिखा था. फिर भी विभिन्न केसों के हल करते समय होम्स और डा. वॉटसन के आपसी बातचीत के विवरणों से पता चलता है कि उस का जन्म लगभग 1854 में हुआ था. होम्स के अनुसार उस ने अपनी इस खोजी या पता करने (या कहिए सूंघने) की कला को अपनी कालिज की पढ़ाई के दौरान ही ढूंढ़ा था. शुरूशुरू में उस ने नौसिखिए के रूप में कार्य किया फिर अपनी इस खोजी विद्या को अपनी क्लास के मित्र के पिता के आग्रह पर ही उस ने अपना व्यवसाय बनाने का विचार किया था. छह वर्षों तक उस ने विश्वविद्यालय में सलाहकार के रूप में कार्य किया, लेकिन पैसे की तंगी के कारण उस ने डा. वॉटसन के साथ मिल कर 221-बी बेकर स्ट्रीट पर अपना कार्यालय खोला. जहां पर वह अपने ग्राहकों व पुलिस के अधिकारियों व अन्य संबंधित व्यक्तियों से भी मिलता था. होम्स ने डा. वॉटसन के साथ लगभग 23 वर्षों तक कार्य किया. होम्स को ले कर अंतिम कहानी 1908 में लिखी गई थी.)))


                                             Part -1 

                                         खून के लाल रंग पर तहकीकात



वर्ष 1878 में मुझे लंदन विश्वविद्यालय से डाक्टर ऑफ मेडिसिन की उपाधि मिली और मैं सेना में सर्जनों के लिए तय पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए नेटली रवाना हुआ. वहां अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं सही वक्त पर असिस्टेंट सर्जन के तौर पर पांचवीं नार्थंबरलैंड फ्यूसिलियर में दाखिल हो गया. यह रेजीमेंट उस समय भारत में थी.
        मेरे वहां पहुंचने के पहले ही दूसरी अफगान लड़ाई छिड़ चुकी थी. मुंबई में उतरने से पहले ही मुझे पता चला कि मेरी पलटन दर्रों से गुजर कर दुश्मन के देश में दाखिल हो चुकी है. फिर भी मेरे जैसे हालात में फंसे कई दूसरे अफसरों के साथ मैं उन के पीछेपीछे गया और सहीसलामत कांधार पहुंचने में कामयाब रहा, जहां मैं ने अपनी रेजीमेंट को ढूंढ़ निकाला और फौरन अपना काम संभाल लिया.
            कई लोगों के लिए यह लड़ाई इज्जत और कामयाबी लाई थी, पर मेरे लिए तबाही के अलावा यह कुछ नहीं थी. मुझे अपनी ब्रिगेड से हटा कर बर्कशायर के साथ कर दिया गया, जिन के साथ मैं ने मायवांड की खूनी लड़ाई में काम किया. वहां मेरे कंधे पर एक गोली लगी, जिस ने मेरी हड्डी को चूरचूर कर दिया और हंसली की धमनी को छील डाला.
       मेरा अर्दली एक घोड़े पर मुझे लाद कर अंगरेजों के खेमों तक सहीसलामत पहुंचाने में कामयाब हो गया था, जिस की वफादारी और बहादुरी के बगैर मैं खूंखार गाजियों के हाथों में पड़ गया होता. दर्द की वजह से मैं परेशान था और शरीर भी कमजोर हो गया था.
          इसलिए मुझे बहुत सारे जख्मी रोगियों के साथ पेशावर के बेस सैन्य अस्पताल में पहुंचा दिया गया. यहां मेरी सेहत में इतना सुधार हुआ कि मैं वार्डों में चलफिर सकता था और बरामदे में धूप भी सेंक सकता था.
          फिर मुझे आंतों के बुखार ने दबोच लिया, जो हमें हिंदुस्तान से विरासत में मिला था. महीनों तक मेरी जिंदगी में मायूसी छाई रही और आखिर में जब मैं ने होश संभाला और मेरी तबीयत सुधरने लगी, तब तक मैं इतना कमजोर और पतला हो चुका था कि एक मेडिकल बोर्ड ने फैसला किया कि मुझे वापस इंगलैंड भेजने में एक दिन की भी देरी न की जाए.               इसीलिए मुझे ओरोनटीस नामक जहाज में रवाना कर दिया गया और एक महीने बाद मैं पोट्‌र्समाउथ के तट पर उतरा. मेरी तबीयत हमेशा के लिए खराब हो चुकी थी, पर नेकदिल सरकार से इजाजत मिल गई थी कि अगले नौ महीनों तक मैं अपनी सेहत सुधारने की कोशिश करूंगा.
     इंगलैंड में मेरा कोई सगा रिश्तेदार नहीं था. इसलिए मैं हवा की तरह आजाद था या उतना आजाद, जितना रोजाना ग्यारह शिलिंग और छह पेंस (वर्ष 1878 के हिसाब से) कमाने वाला इनसान हो सकता था. इन हालात में मैं कुदरती तौर पर लंदन की ओर खिंचा चला गया. लंदन, यानी वह बड़ा नाला जो पूरी ब्रिटिश हुकूमत के आलसियों, निठल्लों को अपनी ओर खींच लेता है.
           वहां मैं कुछ समय के लिए स्ट्रेंड में एक प्राइवेट होटल में रहा, एक आरामहीन, बेकार जिंदगी बिताता रहा. मैं उस से ज्यादा खर्च करता था जितना मुझे करना चाहिए था. मेरी जमापूंजी की हालत इतनी पतली हो गई थी कि मैं ने जल्दी ही महसूस किया कि मुझे इस जगह से निकल कर मुल्क के किसी दूसरे हिस्से में सादी जिंदगी बितानी चाहिए या अपनी आदतों में बदलाव लाना चाहिए. दूसरे रास्ते को चुनते हुए मैं ने फैसला किया कि यह होटल छोड़ कर किसी कम चकाचौंध वाली और कम महंगी जगह कमरा ढूंढ़ूं.
          जिस दिन मैं इस नतीजे पर पहुंचा, उसी दिन मैं क्राइटेरियन बार पर खड़ा था. किसी ने धीरे से मेरा कंधा थपथपाया. पीछे मुड़ने पर मैं ने स्टैमफोर्ड को देखा, जो बार्ट्स में मेरे नीचे एक ड्रेसर था. एक अकेले इनसान के लिए लंदन की बड़ीबड़ी भूलभुलैयों में किसी दोस्त का चेहरा नजर आना बड़ा अच्छा लगता है. स्टैमफोर्ड मेरा कोई नजदीकी दोस्त नहीं था, पर मैं तपाक से उस से मिला. वह भी मुझे देख कर खुश हुआ. मैं ने उस से होलबर्न में अपने साथ लंच करने के लिए कहा. फिर हम दोनों एक साथ घोड़ागाड़ी (हैनसम) में रवाना हुए.
         “तुम अपने साथ आखिर कर क्या रहे थे, वाटसन?” उस ने ताज्जुब से पूछा. उस वक्त हम लंदन की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर चल रहे थे. “तुम डंडे की तरह पतले और मूंगफली की तरह भूरे हो रहे हो.”
      मैं ने उसे संक्षेप में अपने कारनामों के बारे में जानकारी दी. अपनी मंजिल पर पहुंचने तक मैं कहानी बस खत्म करने ही वाला था.
          “बेचारा भूत!” जब उस ने मेरे हालात के बारे में सुना, तो उस ने तरस खा कर कहा, “अब तुम क्या कर रहे हो?”                    “रहने की जगह ढूंढ़ रहा हूं.” मैं ने जवाब दिया. “यह दिक्कत सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं कि क्या यह मुमकिन है कि सही दामों पर आरामदेह कमरा मिल सकेगा.”                “बड़ी अजीब बात है.” मेरे मित्र ने टिप्पणी की, “आज तुम दूसरे इनसान हो जिस ने यह बात मुझ से कही है.”   
      “और पहला कौन था?” मैं ने पूछा.
      “अस्पताल रसायन प्रयोगशाला में काम करने वाला एक व्यक्ति. आज सुबह ही वह अफसोस जाहिर कर रहा था कि उसे कोई ऐसा नहीं मिल रहा है जो उन अच्छे कमरों में रहने का खर्चा उस के साथ बांट ले, जो उस ने ढूंढ़े थे, पर उस की जेब पर भारी पड़ रहे थे.”
          “और, हां!” मैं चिल्ला पड़ा, “अगर हकीकत में वह ऐसे किसी व्यक्ति की तलाश में है जो उस के कमरे और खर्चा बांटने के लिए तैयार है, तो मैं उस के लिए बिलकुल सही हूं. मैं चाहता हूं कि अकेले रहने की बजाए मैं किसी के साथ रहूं.”          युवा स्टैमफोर्ड ने अपने वाइन गिलास के ऊपर से मुझे अजीब नजरों से देखा. फिर बोला, “तुम अभी शरलॉक होम्स को नहीं जानते हो. शायद तुम उसे लंबे अरसे तक साथी के तौर पर न रखना चाहो.”
       “क्यों, ऐसा क्या है, उस के खिलाफ?”
       “ओह, मैं ने यह नहीं कहा है कि उस के खिलाफ कुछ है. वह अपने खयालातों में थोड़ा सा अजीब है. विज्ञान की कुछ शाखाओं में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखता है. जहां तक मैं जानता हूं, वह एक शरीफ इनसान है.”
      “शायद मेडिकल का छात्र है,” मैं ने कहा.
      “नहीं, मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है कि वह क्या करना चाहता है. मैं सोचता हूं कि शायद वह एनाटामी (शरीर रचना) में काफी जानकारी रखता है और वह आला दरजे का केमिस्ट भी है. पर जहां तक मैं जानता हूं, उस ने ढंग से कोई मेडिकल क्लास नहीं ली है. उस की जानकारी बेहद अटपटी और अजीब है. ऐसा लगता है कि उस ने बहुत सारी इधरउधर की जानकारी इकट्ठी कर ली है, जो उस के प्रोफेसरों को भी हैरत में डाल सकती है.”
        “क्या तुम ने उस से कभी नहीं पूछा कि वह क्या करने की सोच रहा है?”
         “नहीं, वह इस तरह का इनसान नहीं है कि जिस के अंदर की बात आसानी से निकाली जा सके, हालांकि जब उस पर सनक सवार होती है, तब वह काफी बातूनी बन जाता है.”           “मैं उस से मिलना चाहूंगा,” मैं ने कहा, “अगर मुझे किसी के साथ रहना पड़ता है, तो मैं किसी पढ़ाकू और शांत स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ रहना पसंद करूंगा. मैं अभी इतना तंदुरुस्त नहीं हुआ हूं कि ज्यादा शोरगुल बरदाश्त कर सकूं.
       “अफगानिस्तान में मैं इतना ज्यादा भुगत चुका हूं कि मेरी बाकी जिंदगी के लिए काफी है. मैं तुम्हारे इस दोस्त से कैसे मिल सकता हूं?”
        “वह लैब में ही होगा,” मेरे दोस्त ने जवाब दिया, “वह या तो हफ्तों तक उस जगह से कतराता है या फिर सुबह से शाम तक वहीं काम करता रहता है. अगर तुम चाहो तो लंच के बाद हम वहां चल सकते हैं.”
        “बिलकुल.” मैं ने जवाब दिया और बातचीत का रुख दूसरी बातों की ओर मुड़ गया.
         होलबर्न छोड़ने के बाद जब हम अस्पताल की ओर जा रहे थे, तो स्टैमफोर्ड ने उस के बारे में कुछ और जानकारी दी जिस के साथ रहने का मैं मन बना रहा था.
         “अगर तुम्हारी उस से न पटे तो मुझ पर इलजाम मत लगाना,” वह बोला, “मैं उस के बारे में इस से ज्यादा कुछ नहीं जानता जितना लैब में कभीकभार उस से मुलाकात होने पर मैं जान पाया हूं. यह सुझाव तुम्हारी ओर से आया था, इसलिए मुझे जिम्मेदार मत ठहराना.”
         “अगर हमारी नहीं पटेगी तो अलग होना आसान होगा,” मैं ने जवाब दिया. “मुझे लगता है स्टैमफोर्ड,” मैं ने आगे कहा, और अपने दोस्त की ओर गौर से देखा, “इस मामले से हाथ धो लेने की तुम्हारे पास जरूर कोई वजह है. क्या इस आदमी का गुस्सा बहुत तेज है या और कोई बात है? इस बारे में घुमाफिरा कर बात मत करो.”
         “अनकही बात को कहा नहीं जा सकता,” हंसते हुए उस ने जवाब दिया, “मेरी दिलचस्पी के हिसाब से होम्स कुछ ज्यादा ही साइंटिफिक दिमाग रखता है. प्रायः अनमना और रूखा सा रहता है वह. कभीकभी वह अपने दोस्त को चुटकी भर वनस्पति (वेजीटेबल एलकालाइड) चटाता है, किसी दुष्टता से नहीं, समझे. पर सिर्फ इस कुतूहल से यह देखने के लिए कि उस का ठीकठीक क्या असर होता है. उस की सिफारिश करते हुए, मैं सोचता हूं कि उसी उतावलेपन से वह उस को खुद भी चख लेता होगा. ऐसा लगता है कि उसे ठीकठीक जानकारी हासिल करने का जुनून है. यह ठीक भी है. हां, पर कभीकभी कुछ ज्यादती भी हो जाती है. जब चीरफाड़ के कमरे में वह लाशों को डंडे से मारता है, तो यह पागलपन ही मालूम पड़ता है.”
        “लाशों को मारता है!”
        “हां, यह साबित करने के लिए कि मौत के बाद किस हद तक जख्म पहुंचाए जा सकते हैं. मैं ने अपनी आंखों से उसे ऐसा करते देखा है.”
        “और फिर भी तुम कहते हो कि वह मेडिकल का छात्र नहीं है?”
        “नहीं, यह तो वही जानता है कि उस की स्टडी का क्या टापिक है. पर हम यहां आ पहुंचे हैं. अब तुम्हें उस के बारे में अपनी राय खुद बनानी होगी.”
         जब वह बोल रहा था, हम एक संकरी गली में मुड़े और एक छोटे से साइड दरवाजे से गुजरे जो एक बड़े अस्पताल के एक भाग में खुलता था. मेरे लिए यह इलाका जानापहचाना था. बदरंग सी पत्थर की सीढ़ियां चढ़ते वक्त मुझे किसी गाइड की जरूरत नहीं थी. हम सफेदी की हुई दीवारों और धुंधले काले रंग के दरवाजों के बीच से गैलरी में अपने रास्ते चलते गए. गैलरी के दूसरे छोर के पास एक नीचा सा गुंबद के आकार का रास्ता निकला और हमें केमिकल लैब तक ले गया.     
             वह एक बहुत आलीशान कमरा था, जो लाइन से लगी अनगिनत बोतलों से भरा हुआ था. चौड़ी, नीची मेजें इधरउधर रखी थीं. उन पर तरहतरह के बकयंत्र (रिटार्ट), परखनली (टेस्ट ट्यूब) और छोटेछोटे बुनसेन लैंप अपनी नीली, लपलपाती लपटें उगल रहे थे. कमरे में सिर्फ एक ही छात्र था, जो दूर वाली मेज पर झुका अपने काम में तल्लीन था.
           हमारे कदमों की आवाज से उस ने चारों ओर देखा और खुशी से खड़ा हो गया और चिल्लाया, “मैं ने ढूंढ़ लिया. मैं ने ढूंढ़ लिया,” वह मेरे दोस्त को देख कर जोर से बोला.
           उस के हाथ में टेस्ट ट्यूब था जिसे ले कर वह हमारी ओर दौड़ता आ रहा था. “मैं ने एक ऐसा री एजेंट ढूंढ़ लिया है, जो हीमोग्लोबिन से ही मजबूत हो सकता है, किसी और से नहीं.”
           यदि उस ने सोने की खान ढूंढ़ ली होती, तब भी उस के चेहरे पर इस से ज्यादा खुशी नहीं चमक सकती थी.                     “डाक्टर वॉटसन, मिस्टर शरलॉक होम्स,” स्टैमफोर्ड ने हमारा परिचय करवाते हुए कहा.
           “हाऊ आर यू?” उस ने विनम्रता से कहा और मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा जितना कि मैं सोच भी नहीं सकता था. “मुझे लगता है कि आप अफगानिस्तान हो कर आए हैं?”             “अरे, आप को यह कैसे मालूम पड़ा?” मैं ने हैरानी से पूछा.
          “कोई बात नहीं,” उस ने हलके से हंसते हुए कहा.                “अब सवाल हीमोग्लोबिन का है. मेरी इस खोज की आप को बेशक अहमियत मालूम तो होगी.”
          “इस में कोई शक नहीं कि रासायनिक तौर पर यह बहुत दिलचस्प है. पर व्यावहारिक रूप से…”
           “क्यों, भाई, यह तो वर्षों पुरानी चिकित्सा कानून संबंधी सर्वाधिक व्यावहारिक खोज है. क्या तुम नहीं देख पा रहे हो कि खून के ध्ब्बों का यह शर्तिया टेस्ट है. इधर आओ!” तुरंत उत्साह में उस ने मेरे कोट की आस्तीन को पकड़ कर उस मेज की ओर खींचा, जहां वह काम कर रहा था.
          “थोड़ा सा ताजा खून लेना पड़ेगा.” उस ने एक लंबा सूआ अपनी उंगली में चुभोते हुए कहा और इस की वजह से निकली खून की बूंद को एक पतली नलिका में इकट्ठा कर लिया.
           “अब मैं इस खून को एक लीटर पानी में मिलाऊंगा. तुम गौर करोगे कि यह मिश्रण शुद्ध पानी जैसा दिखाई पड़ेगा, खून का अनुपात दस लाख में एक से ज्यादा नहीं हो सकता. फिर भी मुझे कोई शक नहीं है कि हम इस से होने वाला रिएक्शन पा लेंगे.”
            बोलतेबोलते उस ने बरतन में कुछ सफेद दाने डाले और फिर एक पारदर्शी तरल पदार्थ की कुछ बूंदें उस में मिला दीं. पलभर में ही वह मिश्रण हलके भूरे रंग का हो गया. भूरे से रंग की धूल उस कांच के जार के तल पर जम गई.
           “हां! हां!” वह ताली बजाते हुए चिल्लाया.
            उस समय ऐसा लग रहा था मानो एक नया खिलौना पाकर बच्चा खुश हो रहा हो.
           “इस के बारे में क्या राय है?”
           “यह बहुत ही नाजुक टेस्ट मालूम होता है.” मैं ने कहा.
           “सुंदर! अतिसुंदर! पुराना वाला बहुत फूहड़ और अनिर्णायक था, ब्लड कारपसल (रक्त कणिका) का माइक्रोस्कोपिक टेस्ट भी ऐसा ही था. अगर धब्बे कुछ घंटे पुराने हो जाते हैं, तो यह बेकार हो जाता है. अब चाहे खून पुराना हो या नया, यह नया टेस्ट उतना ही असरदार रहता है. अगर इस टेस्ट की पहले खोज कर ली गई होती तो सैकड़ों ऐसे लोग जो आजाद घूम रहे हैं, वे अपने जुर्म की सजा भुगत रहे होते.”
           “वाकई!” मैं बुदबुदाया.
           “जुर्म के मामले अकसर इसी एक मुद्दे पर लटके रहते हैं. एक इनसान गुनाह के कई महीनों बाद शक के दायरे में आता है. उस के कपड़ों का टेस्ट किया जाता है और उन पर भूरे रंग के धब्बे पाए जाते हैं. ये खून के धब्बे हैं या मिट्टी के धब्बे हैं या जंग के या फलों के या किस चीज के धब्बे हैं? यह सवाल है जिस ने अनेक विशेषज्ञों को उलझन में डाला है और क्यों? क्योंकि कोई भरोसेमंद टेस्ट नहीं था. अब हमारे पास शरलॉक होम्स टेस्ट है इस लिए कोई दिक्कत नहीं आएगी.”                 बोलते समय उस की आंखें चमक रही थीं. उस ने अपने दिल पर अपना हाथ रखा और किसी काल्पनिक भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट को झुक कर सलाम किया.
            “तुम बधाई के हकदार हो,” उस की खुशी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मैं ने कहा.
            “पिछले साल फ्रैंकफर्ट में वान बिशचौफ का केस था. अगर यह टेस्ट तब मौजूद होता, तो वह शर्तिया सूली पर लटका दिया जाता. फिर ब्रैडफोर्ड का मेसन था, कुख्यात मुलर और मोंटपेलियर का लिफेव्रे और न्यू ऑरलियंस का सैमसन. मैं ऐसे बीसियों केस गिना सकता हूं जिन का यह टेस्ट फैसला कर देता.”
             “तुम गुनाह के चलतेफिरते कैलेंडर लगते हो,” हंसते हुए स्टैमफोर्ड ने कहा. “इस आधार पर तुम अखबार निकाल सकते हो. उसे तुम उसे–‘पुलिस के भूतपूर्व समाचार’– का नाम दे सकते हो.”
             “यह काफी दिलचस्प भी होगा पढ़ने में,” अगली अंगुली पर सूआ चुभोने की जगह प्लास्टर का छोटा सा टुकड़ा चिपकाते हुए शरलॉक होम्स ने फब्ती कसी, “मुझे होशियार रहना पड़ेगा,” वह बोलता गया, फिर मुसकराते हुए मुड़ कर मुझे देखा, “क्योंकि मुझे जहरीले पदार्थों से काफी उलझना पड़ता है,” बोलते हुए उस ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.
              मैं ने गौर किया कि वह ऐसे ही प्लास्टर के छोटेछोटे टुकड़ों से भरा पड़ा था और तेज एसिडों से बदरंग हो रहा था.              “हम यहां काम से आए हैं,” एक ऊंचे तिपाए स्टूल पर बैठते हुए और एक पैर से दूसरा स्टूल मेरी ओर खिसकाते हुए स्टैमफोर्ड ने कहा, “यह मेरा दोस्त रहने की जगह चाह रहा है और क्योंकि तुम शिकायत कर रहे थे कि तुम को आधा किराया बांटने वाला कोई नहीं मिल रहा है, मैं ने सोचा कि अच्छा होगा कि तुम दोनों को मिला दूं.”
             मेरे साथ कमरा बांटने के खयाल से शरलॉक होम्स खुश दिखाई पड़ा.
             “मेरी नजर बेकर स्ट्रीट के एक स्यूट पर है,” उस ने कहा, “जो हमारे लिए पूरी तरह ठीक है. मैं उम्मीद करता हूं कि तुम को तेज तंबाकू की महक से एतराज नहीं है?”
             “मैं तो खुद ही सिगरेट सुलगाता हूं,” मैं ने जवाब दिया.
             “वह तो ठीक है. मेरे पास अकसर ही केमिकल रहते हैं और कभीकभी मैं टेस्ट भी किया करता हूं. इस से तुम को खीझ तो नहीं होगी?”
            “किसी भी तरह की नहीं.”
            “मुझे देखने दो– मेरी दूसरी कमियां कौनकौन सी हैं. मैं कभीकभी मूडी हो जाता हूं और कईकई दिनों तक मुंह नहीं खोलता. जब मैं ऐसे करूं तो तुम यह मत सोचना कि मैं यूं ही ऐंठ रहा हूं. बस, मुझे अकेला छोड़ देना और मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा. अब तुम्हारे पास कबूलने के लिए क्या है? यह अच्छी बात होगी कि दोनों लोगों को एकदूसरे की बुरी से बुरी आदतों की जानकारी हो, इस के पहले कि वे साथसाथ रहना शुरू करें.”
               इस बात पर मैं हंसा.
              “मैं ने एक छोटा पिल्ला पाला हुआ है,” मैं ने कहा, “मुझे शोरशराबे से एतराज है क्योंकि मेरा दिल सिहर जाता है और मैं वक्तबेवक्त जग जाता हूं. मैं बेहद आलसी हूं. जब मैं तंदुरुस्त होता हूं तो मेरे अंदर दूसरी तरह की बुराइयां होती हैं पर अभी के लिए ये ही मेरी खास बुराइयां हैं.”
           “वायलिन बजाना क्या तुम्हारे शोरशराबे की लिस्ट में शामिल है?” उस ने बेचैन हो कर पूछा.
           “यह तो बजाने वाले पर है,” मैं ने जवाब दिया, “अच्छी तरह बजा वायलिन तो सभी को अच्छा लगेगा. बुरी तरह बजाया जाने वाला वायलिन तो किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा.”
           “ओह, वह सब ठीक है,” खुशी से हंसते हुए उस ने कहा, “मैं सोचता हूं कि हम यह मामला निपटा हुआ समझें. यदि कमरे तुम को पसंद आ जाते हैं, तो.”
           “हम कमरों को कब देखेंगे?”
           “कल दोपहर यहां पर मुझ से मिलने आ जाना और हम एकसाथ जा कर मामला पक्का कर लेंगे,” उस ने जवाब दिया.
           “ठीक है, कल दोपहर ठीक बारह बजे,” उस से हाथ मिलाते हुए मैं ने कहा.
            हम ने उसे अपने केमिकलों के बीच काम करते हुए छोड़ा और हम साथसाथ अपने होटल की ओर बढ़े.
           “वैसे,” मैं ने रुक कर स्टैमफोर्ड की ओर मुड़ कर अचानक पूछा, “उसे यह कैसे मालूम पड़ा कि मैं अफगानिस्तान से आया हूं?”
            मेरा दोस्त रहस्यमय तरीके से मुसकराया, “यह उस की एक छोटी सी खासियत है,” वह बोला, “काफी सारे लोगों ने जानना चाहा है कि वह यह कैसे पता कर लेता है.”
            “ओह! तो यह एक राज है?” हाथ मिलाते हुए मैं ने कहा, “यह बिलकुल साफ है. हमें साथ मिलाने के लिए मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूं. इनसानों की सही जानकारी किसी आदमी के बारे में तहकीकात करने पर होती है.”
            “तब फिर तुम इस को पढ़ना.” मुझ से विदा लेते हुए स्टैमफोर्ड ने कहा, “पर तुम्हें वह बहुत पेचीदा जान पड़ेगा. मैं शर्त लगा सकता हूं कि तुम उस के बारे में जितना जान पाओगे, उस से ज्यादा वह तुम्हारे बारे में जान लेगा. गुडबाय.”


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